मन , मन से भाव है कल्पना का संसार सपनो की दुनिया। जहाँ हमारी कल्पना शक्ति इतनी उँची उड़ती है कि हमारे ख्याल , हमारे भाव आसमान से भी ऊपर उड़ जाते है। कभी यह भाव किसी अपूर्ण इच्छा की पूर्ति का होता है , तो कभी कुछ और। कभी सूर्य के उजाले में भी , खुली आँखों में भी , हम सपने देखते है। कभी हम उस प्रभु की मोह माया में ही खो जाते है। कभी मन ही मन उसके कार्यो के लिए उसका शुक्रिया करते है। तभी तो कहा गया है कि -------------------------
मन ही देवता , मन ही ईशवर , मन से बड़ा न कोए।
मन उजियारा जब जब फैले जग उजियारा होए।
इसलिए तो कहा भी जाता है कि इस शरीर में भगवान का वास होता है। अब आज के लिए बस इतना ही। फिर मिलेंगे ,किसी नयी सोच के साथ।
मन ही देवता , मन ही ईशवर , मन से बड़ा न कोए।
मन उजियारा जब जब फैले जग उजियारा होए।
इसलिए तो कहा भी जाता है कि इस शरीर में भगवान का वास होता है। अब आज के लिए बस इतना ही। फिर मिलेंगे ,किसी नयी सोच के साथ।